
कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में पहलगाम में हुए हमले, ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है। कांग्रेस का कहना है कि इन मुद्दों पर देश की जनता और उनके प्रतिनिधियों को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए, और इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
संसद सत्र की मांग क्यों?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पहलगाम घटना, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर के बारे में जनता को सचेत किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक चैनल फिर से खोल दिए हैं? क्या शिमला समझौते को नजरअंदाज किया जा रहा है? कांग्रेस का मानना है कि इन सवालों का उत्तर संसद में एक विशेष सत्र के माध्यम से दिया जाना चाहिए।
अमेरिका की भूमिका पर सवाल
कांग्रेस ने अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के बयान पर भी सवाल खड़े किए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान ‘तटस्थ मंच’ पर बातचीत के लिए सहमत हुए हैं। इस बयान पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की बातचीत पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
पूर्व सेना प्रमुखों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दो पूर्व सेना प्रमुखों, वी.पी. मलिक और मनोज नरवणे की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से जवाब की उम्मीद कर रहे हैं। रमेश ने जोर देकर कहा कि इस संवेदनशील मामले पर स्पष्टता आवश्यक है।
IMF लोन पर कांग्रेस का रुख
जयराम रमेश ने एक अन्य बयान में 1981 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में आईएमएफ (IMF) से लिए गए 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर के लोन का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि उस समय अमेरिका ने इसका विरोध किया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने इसे हासिल कर दिखाया। इसके बाद, 1984 में भारत ने IMF कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और बची हुई 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि भी नहीं ली। कांग्रेस ने इसे भारत की आर्थिक स्वतंत्रता का एक ऐतिहासिक कदम बताया।
कांग्रेस की मांग है कि ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम घटना और सीजफायर पर न केवल संसद में चर्चा हो, बल्कि देश की जनता को भी इन मुद्दों की पूरी जानकारी मिले। क्या वाकई भारत ने पाकिस्तान के साथ डिप्लोमेटिक चैनल खोल दिए हैं? क्या शिमला समझौता अब अप्रासंगिक हो गया है? इन सवालों के जवाब सरकार को देने होंगे।
कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि जब तक इन सवालों के उत्तर नहीं मिलते, तब तक वह इस विशेष सत्र की मांग करती रहेगी।