
बीजिंग | 4 अप्रैल 2025 – अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर भारी आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने के बाद, चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह नया शुल्क 10 अप्रैल 2025 से लागू होगा और इससे वैश्विक व्यापार पर गहरा असर पड़ सकता है।
चीन के टैरिफ फैसले के प्रमुख बिंदु
✅ 34% अतिरिक्त शुल्क – अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर पहले से मौजूद टैरिफ के अतिरिक्त 34% कर लगाया जाएगा।
✅ दुर्लभ खनिजों का निर्यात नियंत्रण – चीन ने सैमेरियम और गैडोलिनियम जैसे दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। ये खनिज तकनीक और रक्षा उद्योग में बेहद जरूरी हैं। ✅ कृषि उत्पादों पर प्रतिबंध – चीन ने अमेरिकी पोल्ट्री और सोरघम के आयात को खाद्य सुरक्षा कारणों से प्रतिबंधित कर दिया है। ✅ टेक और ऑटो इंडस्ट्री पर असर – अमेरिकी ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतें चीन में बढ़ सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव
- चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध और बढ़ेगा, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता आएगी।
- अमेरिकी टेक कंपनियों को झटका, क्योंकि चीन उनका प्रमुख बाजार है।
- दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण से इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उद्योग प्रभावित होंगे।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस ने चीन के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे “अनुचित व्यापार नीति” बताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि उनकी सरकार इस टैरिफ का जवाब देने के लिए नए आर्थिक उपायों पर विचार कर रही है।
भारत पर प्रभाव
- चीन-अमेरिका व्यापार तनाव का फायदा भारत को मिल सकता है क्योंकि कई कंपनियां चीन से हटकर भारत में निवेश कर सकती हैं।
- दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण के कारण भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर को झटका लग सकता है।
- वैश्विक बाजारों में अस्थिरता से भारतीय शेयर बाजार पर भी असर पड़ सकता है।
आगे क्या?
अगर अमेरिका ने चीन के इस फैसले का जवाब दिया, तो दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और तेज हो सकता है। इससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ सकती है।
आपकी राय?
क्या चीन का यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सही है या यह सिर्फ व्यापारिक तनाव बढ़ाएगा? कमेंट में अपनी राय दें!