

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाले की जांच में एक नया खुलासा हुआ है। इस घोटाले में 122 करोड़ रुपये के वित्तीय अनियमितताओं की बात सामने आई है, जिसमें बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा को दिए गए 18 करोड़ रुपये के लोन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
साल 2011 में प्रीति जिंटा को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक द्वारा 18 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया गया था। इस लोन के बदले में उन्होंने मुंबई स्थित एक फ्लैट और शिमला की संपत्ति को बैंक में गिरवी रखा था। उस समय इन संपत्तियों का कुल मूल्य 27.41 करोड़ रुपये आंका गया था।
हालांकि, लोन चुकाने की प्रक्रिया में गड़बड़ियां सामने आईं। एक्ट्रेस को साल 2012 तक 11.40 करोड़ रुपये की किस्त चुकानी थी, लेकिन समय पर भुगतान न होने की वजह से बैंक ने उनके अकाउंट को “ए श्रेणी” में डाल दिया, जिससे लोन की कुल बकाया राशि 11.47 करोड़ रुपये हो गई।
प्रीति जिंटा को कैसे मिली छूट?
सबसे बड़ा सवाल इस मामले में यह है कि लोन की निपटान प्रक्रिया में एक्ट्रेस को 1.55 करोड़ रुपये की छूट कैसे दी गई। साल 2014 में जब उन्होंने पूरा लोन चुकाया, तब बैंक ने अंतिम भुगतान के दौरान यह छूट दी थी। अब इस छूट को लेकर पुलिस जांच कर रही है कि यह एक सामान्य बैंकिंग प्रक्रिया थी या इसमें अनियमितता हुई थी।
बैंक घोटाले में और कौन शामिल?
इस घोटाले में बैंक के प्रमुख हितेश मेहता समेत आठ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एजेंसियां 2010 के बाद से बैंक द्वारा दिए गए सभी बड़े लोन की जांच कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, यह मामला सिर्फ प्रीति जिंटा तक सीमित नहीं है, बल्कि कई अन्य हाई-प्रोफाइल ग्राहकों को भी इसी तरह से छूट दी गई थी, जिससे बैंक को भारी नुकसान हुआ।
अब आगे क्या होगा?
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या यह छूट बैंक की नीति के तहत दी गई थी या इसमें किसी तरह की धांधली हुई थी। अगर इसमें कोई वित्तीय गड़बड़ी पाई जाती है, तो बैंक के अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
यह मामला सिर्फ एक बॉलीवुड एक्ट्रेस से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरे बैंकिंग सिस्टम में फैली अनियमितताओं को उजागर करता है। क्या यह एक सामान्य वित्तीय लेन-देन था या इसके पीछे कोई बड़ा खेल था? इसकी सच्चाई जल्द ही जांच में सामने आएगी।