
भारतीय रेलवे अब अपने बुनियादी ढांचे को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी में है — और इस बार यह ऊंचाई नहीं बल्कि गहराई में जाकर हासिल की जाएगी। मुंबई जैसे अत्यधिक भीड़भाड़ वाले महानगर में रेलवे ने एक ऐसी योजना पर काम शुरू कर दिया है, जो शहर की ट्रैफिक और भूमि की समस्याओं का समाधान अंडरग्राउंड सुरंगों के जरिये निकालेगी।
रेलवे का विचार बिल्कुल स्पष्ट है: जब मेट्रो ट्रेनें भूमिगत चल सकती हैं, तो परंपरागत रेलवे क्यों नहीं? इसी सोच के तहत सेंट्रल रेलवे ने परेल/करी रोड से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) के बीच पाँचवें और छठे रेलवे कॉरिडोर के लिए अंडरग्राउंड सुरंग बनाने की योजना बनाई है।
दो चरणों में होगा निर्माण
यह महत्वाकांक्षी परियोजना दो चरणों में विभाजित है।
- पहला चरण: कुर्ला से परेल तक लगभग 10.1 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा, जिस पर काम शुरू हो चुका है।
- दूसरा चरण: परेल से CSMT तक का 7.4 किलोमीटर लंबा हिस्सा होगा, जिसके लिए फिलहाल योजना बनाई जा रही है।
भूमिगत सुरंग क्यों?
दूसरे चरण में सबसे बड़ी चुनौती है — भूमि अधिग्रहण और प्रभावित लोगों का पुनर्वास। यही कारण है कि रेलवे अब ऐसे विकल्प पर विचार कर रहा है जिसमें जमीन की जरूरत कम पड़े और लोगों को विस्थापित न किया जाए। अंडरग्राउंड ट्रैक का यही समाधान सामने आया है। प्रस्तावित सुरंग लगभग 20 से 25 मीटर नीचे होगी, जो मौजूदा रेल ट्रैक के ठीक नीचे बनाई जाएगी।
क्या है अगला कदम?
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए जल्द ही एक विशेषज्ञ सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। परेल और CSMT में सुरंग खोदने वाली मशीनों के प्रवेश और निकास बिंदुओं के लिए उपयुक्त जगह की तलाश जारी है। जमीन की उपलब्धता की पुष्टि के बाद ही निर्माण कार्य को अंतिम रूप दिया जाएगा।
अगर यह योजना उम्मीदों पर खरी उतरती है, तो यह न केवल मुंबई में ट्रैफिक का दबाव कम करेगी बल्कि पूरे भारतीय रेलवे के लिए एक क्रांतिकारी उदाहरण बनेगी। तेज, सुविधाजनक और बाधारहित यात्रा की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा।