
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर ने 9 महीने 14 दिनों के बाद सफलतापूर्वक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर वापसी की। उनकी वापसी कई महीनों की देरी के बाद आखिरकार स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल के जरिए पूरी हुई।
लैंडिंग का विवरण और चुनौतियाँ
• समय और स्थान:
भारतीय समयानुसार 19 मार्च 2025 को सुबह 3:27 बजे, उनका कैप्सूल फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित लैंड हुआ।
• तकनीकी दिक्कतें:
लैंडिंग के दौरान 7 मिनट तक कैप्सूल का संपर्क टूट गया था, जिससे नासा की टीम को कुछ देर के लिए चिंता हुई, लेकिन अंततः कैप्सूल ने सुरक्षित लैंडिंग की।
• मिशन की देरी:
सुनीता और बुच मूल रूप से 8 दिनों के टेस्ट मिशन पर गए थे, लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते उन्हें 9 महीने तक ISS पर रहना पड़ा।
मिशन से जुड़ी अहम बातें
• क्यों हुई देरी?
• सुनीता और उनकी टीम बोइंग के नए स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट का परीक्षण करने गए थे।
• तकनीकी खामियों की वजह से स्टारलाइनर का वापसी मिशन स्थगित होता रहा।
• अंततः नासा ने उन्हें स्पेसएक्स ड्रैगन से वापस लाने का फैसला किया।
• स्पेस में लंबा समय
• इस मिशन के कारण उनका ठहराव अंतरिक्ष में अपेक्षा से 34 गुना अधिक लंबा हो गया।
• उन्होंने ISS पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग और टेस्टिंग में योगदान दिया।
नासा और भारत की प्रतिक्रिया
• नासा का बयान:
• नासा ने इस सफल वापसी पर स्पेसएक्स को धन्यवाद दिया।
• इस मिशन को अंतरिक्ष अभियानों के लिए सबक और प्रेरणा बताया गया।
• भारत में उत्साह:
• भारत के वैज्ञानिक समुदाय और सरकार ने इस पर खुशी जताई।
• केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सुनीता विलियम्स को भारत की बेटी बताते हुए बधाई दी।
भविष्य की योजनाएँ
• नासा अब इस मिशन की विस्तृत समीक्षा करेगा और देखेगा कि भविष्य में ऐसी देरी से बचने के लिए क्या किया जा सकता है।
• स्टारलाइनर की तकनीकी समस्याओं को सुधारने पर जोर दिया जाएगा ताकि यह भविष्य के अभियानों के लिए तैयार हो सके।