
तमिलनाडु सरकार ने 13 मार्च 2025 को पेश किए गए वार्षिक बजट के दौरान एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने भारतीय रुपये (₹) के प्रतीक की जगह तमिल लिपि में ‘ரூ’ (रू) का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। इस फैसले को स्थानीय सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने वाला कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके चलते राष्ट्रीय स्तर पर बहस भी छिड़ गई है। आइए, इस बदलाव को विस्तार से समझते हैं।
बदलाव क्या है?
अब से तमिलनाडु सरकार द्वारा जारी सभी आधिकारिक दस्तावेज, बजट रिपोर्ट, और राज्य सरकार की वित्तीय लेन-देन संबंधी फाइलें में ₹ के बजाय ‘ரூ’ लिखा जाएगा। तमिल लिपि में ‘ரூ’ शब्द का उच्चारण “रू” होता है, जो रुपये का स्थानीय रूप है।
फैसले के पीछे का कारण:
तमिलनाडु सरकार का मानना है कि भारतीय रुपये का वर्तमान प्रतीक (₹), जो देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन अक्षर ‘R’ का मिश्रण है, उत्तर भारतीय भाषाओं के करीब है, लेकिन दक्षिण भारतीय भाषाओं, खासकर तमिल से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है।
वित्त मंत्री ने विधानसभा में कहा:
“तमिल भाषा सिर्फ हमारी बोली नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। हमारी अर्थव्यवस्था की प्रगति को दर्शाने वाला प्रतीक भी हमारी संस्कृति का हिस्सा होना चाहिए। इसलिए हमने तमिल लिपि में ‘ரூ’ को अपनाने का फैसला किया है।”
इतिहास और पृष्ठभूमि:
• 2010 में ₹ का प्रतीक भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से अपनाया था। इसे देवनागरी ‘र’ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा प्रतीकों के समानता के लिए डिजाइन किया गया था।
• हालांकि, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक जैसे राज्यों में लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि स्थानीय लिपियों में भी रुपये का प्रतीक होना चाहिए।
• तमिल सांस्कृतिक संगठनों का तर्क था कि स्थानीय भाषा के प्रतीकों को महत्व देने से संस्कृति का संरक्षण होगा और राज्य की आर्थिक पहचान मजबूत होगी।
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया:
• समर्थन में:
• क्षेत्रीय दलों और तमिल भाषा प्रेमियों ने इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। उनका मानना है कि यह फैसला स्थानीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर सामने लाने में मदद करेगा।
• छोटे व्यापारी और स्थानीय व्यापारी संघ भी इस कदम से खुश हैं, क्योंकि स्थानीय ग्राहकों के साथ संवाद आसान होगा।
• विरोध में:
• आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अलग-अलग प्रतीक अपनाने से राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में भ्रम पैदा हो सकता है।
• बैंकिंग सेक्टर से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि सभी राज्यों का एक समान मुद्रा प्रतीक होना चाहिए, ताकि लेन-देन और अकाउंटिंग में आसानी हो।
RBI और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया:
• भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राज्य स्तर पर प्रतीकों का बदलाव करने से राष्ट्रीय वित्तीय नेटवर्क पर असर पड़ सकता है।
• केंद्र सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों ने संकेत दिया है कि इस मामले पर संविधान और वित्तीय कानूनों की समीक्षा की जाएगी, क्योंकि मुद्रा प्रतीक राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा है।
आगे क्या होगा?
तमिलनाडु का यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस की शुरुआत कर सकता है। केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी स्थानीय मुद्रा प्रतीक अपनाने की मांग उठ सकती है। इससे राष्ट्रीय एकता बनाम क्षेत्रीय पहचान का मुद्दा गहराने की संभावना है।
संभावित परिदृश्य:
1. RBI एक मिश्रित समाधान ला सकता है:
• हो सकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर ₹ बना रहे, लेकिन राज्य स्तर पर स्थानीय प्रतीक इस्तेमाल करने की छूट दी जाए।
2. कानूनी लड़ाई की संभावना:
• अगर केंद्र और राज्य सरकारों में मतभेद गहरा होता है, तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है।
3. प्रौद्योगिकी और बैंकिंग में बदलाव:
• अगर यह बदलाव लागू होता है, तो UPI, बैंकिंग सॉफ्टवेयर्स, और लेन-देन के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को नए प्रतीकों को समायोजित करना पड़ेगा।