
नई दिल्ली | 1 मई 2025
1 मई 2025 से देश में कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव किए गए हैं, जो आम जनता के दैनिक जीवन और वित्तीय लेन-देन को सीधे प्रभावित करेंगे। इनमें बैंकिंग, रेलवे, राशन वितरण, भूमि पंजीकरण और कर प्रणाली से जुड़े नियम शामिल हैं। आइए, इन बदलावों पर एक नजर डालते हैं:
🏧 एटीएम लेन-देन शुल्क में वृद्धि
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, 1 मई 2025 से एटीएम से नकद निकासी पर शुल्क बढ़ा दिया गया है। अब, मुफ्त लेन-देन की सीमा पार करने के बाद प्रत्येक अतिरिक्त नकद निकासी पर ₹23 का शुल्क लगेगा, जो पहले ₹21 था。 बैलेंस चेक और मिनी स्टेटमेंट पर भी शुल्क बढ़ाकर ₹7 कर दिया गया है。
🚆 रेलवे टिकट बुकिंग में नए नियम
भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं:
अब प्रतीक्षा सूची वाले टिकटों पर स्लीपर या एसी कोच में यात्रा की अनुमति नहीं होगी; केवल सामान्य कोच में ही यात्रा संभव होगी। अग्रिम आरक्षण की अवधि 120 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दी गई है। ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए अब ओटीपी सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।
🏠 भूमि पंजीकरण शुल्क में कमी
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भूमि पंजीकरण शुल्क में कमी की गई है। अब पंजीकरण शुल्क ₹50 से ₹100 के बीच होगा, और प्रक्रिया को ऑनलाइन पोर्टलों के माध्यम से 48 से 72 घंटों में पूरा किया जाएगा。
🛒 राशन वितरण प्रणाली में सुधार
राशन कार्ड धारकों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं:
आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण अब अनिवार्य है। “वन नेशन वन राशन कार्ड” योजना को पूरी तरह से लागू किया गया है, जिससे देश के किसी भी हिस्से में राशन प्राप्त करना संभव होगा। अयोग्य राशन कार्डों की पहचान कर उन्हें प्रणाली से हटाया जाएगा।
💰 आयकर स्लैब में बदलाव
2025 के बजट में आयकर स्लैब में संशोधन किया गया है:
अब ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। ₹12.75 लाख तक की आय पर भी मानक कटौती के बाद कर छूट मिलेगी। नई कर दरें इस प्रकार हैं:
₹0 – ₹4 लाख: 0%
₹4 – ₹8 लाख: 5%
₹8 – ₹12 लाख: 10%
₹12 – ₹16 लाख: 15%
₹16 – ₹20 लाख: 20%
₹20 – ₹24 लाख: 25%
₹24 लाख से अधिक: 30%
निष्कर्ष:
1 मई 2025 से लागू हुए ये नए नियम आम जनता के वित्तीय और दैनिक जीवन को सीधे प्रभावित करेंगे। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे इन परिवर्तनों के प्रति जागरूक रहें और आवश्यकतानुसार अपने लेन-देन और योजनाओं में समायोजन करें।