
नई दिल्ली – क्या आपने कभी आसमान में टूटते तारे देखकर कोई ख्वाहिश मांगी है? अगर हां, तो तैयार हो जाइए एक ऐसी रात के लिए जो आपकी ज़िंदगी को नई दिशा दे सकती है। 21 अप्रैल 2025, सोमवार की रात को आसमान में ऐसा नज़ारा देखने को मिलेगा जो साल में सिर्फ एक बार आता है – लिरिड उल्का बौछार।
इस खगोलीय घटना को सिर्फ विज्ञान ही नहीं, आध्यात्म और ज्योतिष भी बेहद खास मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब टूटते तारों की बारिश होती है, तब ब्रह्मांड से पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह होता है – और यह समय होता है अपनी इच्छाओं को ब्रह्मांड तक पहुंचाने का।
क्यों खास है 21 अप्रैल की रात?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 21 अप्रैल की रात ठीक 9 बजकर 9 मिनट पर, ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होगी। यही वह समय होगा जब आप अपनी आँखों से आसमान में एक के बाद एक टूटते तारे देख सकेंगे। यह सिर्फ एक अद्भुत दृश्य ही नहीं, बल्कि आपके मैनिफेस्टेशन का सबसे सटीक समय भी है।
कैसे करें अपनी मनोकामना पूरी?
- 21 अप्रैल को रात ठीक 9:09 बजे खुले आसमान की ओर देखें।
- मन ही मन अपनी सबसे प्रिय इच्छा को दोहराएं – लेकिन उसे किसी और से साझा न करें।
- आंखें खुली रखें और उस पल को पूरी श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा के साथ महसूस करें।
- विश मांगते समय दिल और दिमाग में कोई संदेह न रखें।
लिरिड उल्का बौछार: क्या है इसका विज्ञान?
लिरिड उल्का बौछार, प्राचीन धूमकेतु थैचर (C/1861 G1) के कारण होती है, जो हर 422 वर्षों में सूरज के करीब आता है। इस धूमकेतु से निकले धूल और कण जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं, तो वे जलते हैं और आकाश में एक चमकदार रेखा छोड़ते हैं – जिसे हम शूटिंग स्टार कहते हैं। हर साल अप्रैल में यह उल्का बौछार होती है, लेकिन इस साल यह और भी खास है क्योंकि आसमान में चांद नहीं होगा, जिससे अंधेरा गहराएगा और उल्काएं और भी साफ दिखेंगी।
कब और कहां देखें?
21 अप्रैल की रात से लेकर 22 अप्रैल की सुबह तक, यह नज़ारा भारत के लगभग हर हिस्से में साफ दिखाई देगा। खुले मैदान, पहाड़ी इलाके या छत से बिना लाइट पॉल्यूशन वाले इलाकों में यह दृश्य और भी अद्भुत लगेगा।