7 मई को देशव्यापी सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल: युद्धकालीन तैयारी का सबसे बड़ा अभ्यास

नई दिल्ली। भारत 7 मई को इतिहास की सबसे बड़ी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल का गवाह बनने जा रहा है। यह अभ्यास ना सिर्फ आतंकवादी खतरों के मद्देनज़र किया जा रहा है, बल्कि यह युद्ध जैसे हालात में आम नागरिकों की सुरक्षा और प्रतिक्रिया प्रणाली की परख का एक ऐतिहासिक मौका भी है।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने नागरिक सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा शुरू की। इसके तहत 295 जिलों में एक साथ एक जैसी मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जो स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे बड़ा मॉक ऑपरेशन होगा।

क्यों हो रही है यह मॉक ड्रिल?

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद यह पहली बार है जब पूरे देश में इतनी व्यापक तैयारी कराई जा रही है। गृह मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय खतरे अब पारंपरिक सीमाओं से कहीं आगे जा चुके हैं। ऐसे में यह अभ्यास जरूरी है ताकि यदि कभी युद्ध या बड़े हमले की स्थिति बनती है, तो देश की नागरिक व्यवस्था उससे निपटने में तैयार हो।

अभ्यास में क्या-क्या शामिल होगा?

इस मॉक ड्रिल में सिर्फ औपचारिकताएं नहीं, बल्कि युद्ध जैसी परिस्थितियों का रियल-सिचुएशन अभ्यास किया जाएगा। इसके अंतर्गत:

  • एयर रेड सायरन का परीक्षण — ताकि नागरिकों को हवाई हमले की आशंका पर तुरंत अलर्ट किया जा सके।
  • ब्लैकआउट अभ्यास — बिजली की आपूर्ति बंद कर इलाके को अंधकार में रखना, ताकि दुश्मन को लोकेशन ट्रैक करना मुश्किल हो।
  • बंकरों की सफाई और परीक्षण — सीमावर्ती और शहरी इलाकों में मौजूद आपातकालीन शेल्टर्स का निरीक्षण।
  • निकासी और राहत संचालन — संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की रिहर्सल।
  • संचार तंत्र का परीक्षण — हॉटलाइन, रेडियो और सैन्य संपर्क चैनलों की एक्टिवेशन।
  • आम नागरिकों को प्रशिक्षण — प्राथमिक उपचार, अग्निशमन, आपातकालीन रिस्पॉन्स और शेल्टर उपयोग में।
  • महत्वपूर्ण ढांचों की सुरक्षा — पावर प्लांट्स और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को छिपाने और सुरक्षित करने की तैयारी।
  • शैडो कंट्रोल रूम की व्यवस्था — मुख्य नियंत्रण कक्ष के फेल होने की स्थिति में बैकअप कंट्रोल की तैयारी।

क्या आम जनता को दिक्कत होगी?

सरकार की कोशिश है कि आम जनजीवन यथासंभव प्रभावित ना हो। दूध, दवाइयों, बैंकिंग, और सार्वजनिक परिवहन जैसी सेवाएं पहले की तरह सुचारु रूप से चलती रहेंगी। हालांकि, कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में ब्लैकआउट और सायरन बजने जैसी स्थितियों का सीमित और नियंत्रित रूप में अभ्यास किया जाएगा।

कौन-कौन रहेगा शामिल?

इस देशव्यापी ऑपरेशन में डिस्ट्रिक्ट कंट्रोल रूम, होमगार्ड्स, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस वॉलंटियर्स, स्कूल-कॉलेज के छात्र, दमकल विभाग, मेडिकल टीमें, और कई अन्य नागरिक एजेंसियां शामिल रहेंगी। सेना, पुलिस और प्रशासनिक इकाइयों के साथ उच्च स्तर पर समन्वय बनाया गया है ताकि किसी भी अफवाह या पैनिक की स्थिति न बनें।

उद्देश्य क्या है?

इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना, आपदा प्रबंधन में दक्ष बनाना और युद्ध जैसी स्थितियों में जनहानि को न्यूनतम करना है। यह अभ्यास दिखाता है कि भारत अब न सिर्फ सीमाओं की रक्षा में तैयार है, बल्कि अपने नागरिकों को सुरक्षा देने में भी पहले से कहीं अधिक सक्षम हो रहा है।

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