
चीनी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी BYD को भारत में निवेश की इजाजत नहीं, सरकार ने राष्ट्रीय हितों को बताया प्राथमिकता
भारत सरकार ने चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी BYD (बिल्ड योर ड्रीम्स) के भारत में निवेश प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों को प्राथमिक कारण बताया है।
मुंबई में आयोजित इंडिया ग्लोबल फोरम 2025 के दौरान पीयूष गोयल ने कहा,
“हम किसी भी निवेश को स्वीकार करने से पहले उसके दीर्घकालिक प्रभाव पर विचार करते हैं। हमारी प्राथमिकता भारत के रणनीतिक हित हैं और BYD के प्रस्ताव को इस समय स्वीकृति नहीं दी गई है।”
BYD का भारत में निवेश प्रस्ताव
BYD ने भारत में करीब $1 बिलियन यानी लगभग ₹8,300 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया था। कंपनी की योजना तेलंगाना में एक इलेक्ट्रिक व्हीकल और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की थी। इसके तहत BYD भारत में व्यापक स्तर पर EV निर्माण करना चाहती थी।
लेकिन सरकार ने 2024 में ही इस प्रस्ताव को नकारात्मक सुरक्षा मूल्यांकन के चलते रोक दिया था। अब 2025 में पीयूष गोयल द्वारा दिए गए स्पष्ट बयान से यह साफ हो गया है कि निकट भविष्य में BYD को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
चीन से सावधानी क्यों?
भारत सरकार ने हाल के वर्षों में चीनी कंपनियों के निवेश पर सख्ती बरती है, खासकर 2020 के गलवान संघर्ष के बाद। सरकार को चिंता है कि कई चीनी कंपनियों की मालिकी संरचना अस्पष्ट है और उनमें से कुछ का चीन की सरकार या सैन्य संस्थानों से अप्रत्यक्ष संबंध हो सकता है। इसके अलावा, सरकारी सब्सिडी और मूल्य युद्ध के ज़रिए चीनी कंपनियां वैश्विक बाज़ार में अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा कर सकती हैं।
टेस्ला को दी जा रही प्राथमिकता
जहां एक ओर BYD के लिए भारत के दरवाज़े बंद किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता टेस्ला को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही है। भारत चाहता है कि टेस्ला यहां पर स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करे, जिससे देश में EV तकनीक और रोजगार दोनों को बढ़ावा मिल सके।