“S-400 की मार: दुश्मन को आसमान में ही चटा दी धूल!”

नई दिल्ली – भारत की सुरक्षा नीति में आधुनिक तकनीक का समावेश लगातार किया जा रहा है और इसी दिशा में एक बड़ा कदम है रूस से प्राप्त S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्टम। यह प्रणाली दुनिया की सबसे उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली रक्षा प्रणालियों में से एक मानी जाती है। भारत ने इसे खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की तरफ से आने वाले हवाई खतरों को ध्यान में रखते हुए खरीदा है।

S-400 सिस्टम क्या है?

S-400 ट्रायंफ (NATO कोड: SA-21 Growler) एक मोबाइल, लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जिसे रूस के अल्माज़-अंते कंपनी ने विकसित किया है। यह सिस्टम एक साथ कई तरह के हवाई लक्ष्यों को पहचानने, ट्रैक करने और नष्ट करने की क्षमता रखता है – जैसे लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज़ मिसाइलें और ड्रोन।

भारत ने इस प्रणाली की 5 यूनिट्स खरीदने के लिए रूस के साथ करीब ₹35,000 करोड़ (5 अरब डॉलर) की डील की थी। पहली यूनिट भारत को 2021 के अंत में प्राप्त हुई और इसे पश्चिमी सीमा (पंजाब-राजस्थान क्षेत्र) में तैनात किया गया।

यह सिस्टम कैसे काम करता है?

S-400 सिस्टम चार मुख्य घटकों से बना होता है:

रडार यूनिट – यह सिस्टम का ‘आंख’ है, जो 600 किलोमीटर तक के क्षेत्र में उड़ रहे लक्ष्यों को पहचान सकता है। कमांड सेंटर – यह यूनिट खतरे का विश्लेषण करती है और निर्णय लेती है कि किस लक्ष्य को पहले नष्ट करना है। मिसाइल लॉन्चर – इसमें चार प्रकार की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40 किमी से लेकर 400 किमी तक होती है। सपोर्ट व्हीकल्स – जो संचार और विद्युत आपूर्ति आदि के लिए काम करते हैं।

S-400 की सबसे बड़ी ताकत इसकी मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट क्षमता है। यह एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 36 लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकता है।

भारत में S-400 कहां तैनात है?

भारत ने अपनी सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए S-400 को कई संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया है:

पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान से सटी): पंजाब, राजस्थान उत्तरी सीमा (चीन से सटी): लद्दाख, अरुणाचल पूर्वोत्तर क्षेत्र: असम और नागालैंड राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र: दिल्ली के आसपास रणनीतिक सुरक्षा कवच

यह तैनाती भारत की सुरक्षा को बहुस्तरीय और बहुपक्षीय बनाती है।

वर्तमान युद्ध या टकराव की स्थिति में S-400 की भूमिका

अगर भारत को किसी भी पड़ोसी देश से हवाई हमले या मिसाइल अटैक का खतरा होता है, तो S-400 सिस्टम देश की पहली और सबसे मजबूत रक्षा पंक्ति बन जाता है।

यह दुश्मन के फाइटर जेट्स को सीमा पार करने से पहले ही नष्ट कर सकता है। किसी भी बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइल को लक्ष्य तक पहुँचने से पहले रोक सकता है। रणनीतिक ठिकानों जैसे एयरबेस, न्यूक्लियर पॉइंट्स और मिलिट्री हेडक्वार्टर्स की सुरक्षा करता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि S-400 के आने से भारत को एक “नो-फ्लाई ज़ोन” बनाने की क्षमता मिलती है, जो दुश्मन के लिए हवाई ऑपरेशन चलाना लगभग असंभव बना देता है।

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